श्री कृष्णा का आवाह्न कैसे किया जाये? जन्माष्टमी पर विशेष – अनु दीदी

Date: August 24, 2019 Posted by: admin In: BK Anu Didi, Janmashtami

 श्री कृष्णा का आवाह्न कैसे किया जाये? जन्माष्टमी पर विशेष - अनु दीदी
श्री कृष्णा का आवाह्न कैसे किया जाये? जन्माष्टमी पर विशेष – अनु दीदी

श्री कृष्णा जन्माष्टमी पर विशेष
श्री कृष्णा का आवाह्न कैसे किया जाये?

जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्णा के भक्त उनकी झांकियां तैयार करते हैं और रथ पर उन झांकियों को नगर में घुमाते हैं | श्री कृष्णा अपने चित्रों तथा मंदिरों में सदैव प्रभामंडल अर्थात प्रकाश के ताज से सुशोभित तथा रत्नजड़ित स्वर्णमुकुट से भी सुसज्जित दिखाई देते हैं, इसलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव हमें धार्मिक और राजनितिक दोनों सत्ताओ की पराकाष्ठा को प्राप्त श्रीकृष्ण देवता की याद दिलाता हैं, यह उत्सव इस दृष्टिकोण से अनुपम है कि श्रीकृष्ण को भारत के राजा भी पूजते हैं और महात्मा भी महान एवं पूज्य मानते हैं, ध्यान देने योग्य बात यह हैं कि जो भी दूसरे व्यक्ति प्रसिद्ध हुए हैं, जिनके जन्मदिन सार्वजनिक उत्सव बन गए हैं, वे कोई जनम से ही महान या पूज्य नहीं थे |

श्री कृष्णा की यह विशेषता हैं कि वे जन्म से ही पूज्य पदवी को प्राप्त थे, उनकी किशोरावस्था के चित्रों में भी वे दोनों ताजों से सुशोभित हैं | उनकी बाल्यावस्था के जो चित्र मिलते हैं, उनमे भी वो मोर पंख, मणिजड़ित आभूषण तथा प्रभामंडल से युक्त देखे जाते हैं | उनकी बाल्यावस्था की झांकियां लोग बहुत चाव और सम्मान की दृष्टि से देखते हैं, श्रीकृष्ण में शारीरिक आरोग्यता और सुंदरता की, आत्मिक बल और पवित्रता की तथा दिव्या गुणों की पराकाष्ठा थी या यूँ कहें कि मनुष्य चोले में जो सर्वोत्तम जन्म हो सकता हैं, वह उनका था |

अन्य कोई भी व्यक्ति शारीरिक व आत्मिक दोनों दृषिकोणों से इतना सूंदर, आकर्षक, प्रभावशाली और प्रभुत्वशाली नहीं हुआ हैं |

श्रीकृष्ण के मंदिरों में हर प्रकार से स्वच्छता बरती जाती हैं, श्रीकृष्ण को तो अशुद्ध हाथ छू तक भी नहीं सकते, अतः श्रीकृष्ण का आप लाख बार आवाह्न कीजिये परन्तु जब तक नर-नारी का मन मंदिर नहीं बना हैं, जब तक मन ज्ञान द्वारा आलोकित नहीं हुआ हैं, तब तक श्रीकृष्ण जो कि देवताओं में भी श्रेष्ठ और शिरोमणि हैं, यहाँ नहीं आ सकते, आज लोग अपने संस्कारों को नहीं बदलते और अपने जीवन को पवित्र नहीं बनाते, श्रीकृष्ण का केवल आवाह्न मात्रा कर छोड़ देते हैं, परन्तु सोचने कि बात हैं कि क्या श्रीकृष्ण आज के वातावरण में जन्म ले सकते हैं?

आज तो संसार में तमोगुण की प्रधानता हैं और सभी में काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा अहंकार का प्राबल्य हैं, ऐसे लोगो के बीच क्या श्रीकृष्ण पधार सकते हैं? निःसंदेह श्रीकृष्ण थे तो जन्म से ही महान परन्तु उन्हें भगवान कहता गलती हैं | श्री कृष्ण तो भगवान की सर्वोत्तम रचना हैं, और उनका चित्र देखकर उनके रचियता भगवान शिव की याद आनी चाहिए, आज लोग श्रीकृष्ण का गायन – पूजन तो करते हैं, उनकी महानता का बखान भी करते हैं, परन्तु जिस सर्वोत्तम पुरुषार्थ से उन्होंने वह महानता प्राप्त की थी और पद्मो-तुल्य जीवन बनाया था, उस पुरुषार्थ पर वे धयान नहीं देते, वे ये नहीं समझते कि श्रीकृष्ण हमारे मान्य पूर्वज थे, अतएव हमारा कर्त्तव्य है कि हम उनके उच्च जीवन से प्रेरणा लेकर आपने जीवन भी वैसा उच्च बनाने को यथार्थ पुरुषार्थ करें.

अनु दीदी – लेखिका
संचालिका
(प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय – धनबाद केंद्र)

Comments are currently closed.