Picnic Program 2019
ब्रह्मा बाबा – अव्यक्त पालना के 50 साल
Importance Of Christmas In Our Life
Importance Of Christmas In Our Life
दुनिया में हर जगह, हर कोई बहुत खुशी और प्यार के साथ मेरी क्रिसमस मना रहा है। मेरा क्रिसमस का क्या मतलब है? शांति प्यार और खुशियाँ।
हर घर भगवान का घर है। हम खुद इतने खुशी के साथ क्रिसमस कैसे मना सकते हैं? सभी घरों में, यह ऐसा है जैसे कि हर जगह प्रकाश है और केवल प्रकाश है।
अन्यथा, दुःख और शांति है और फिर हम खुद का आनंद नहीं लेते हैं। बचपन से, मैंने क्रिसमस मनाया है – यह दिल से मनाया जाता है। दिल खोलकर आनंद लेते हैं। आनंद क्या है? खुशी, खुशी और खुशी। यह आश्चर्यजनक है। दुनिया में, सभी को लिंग के लिए बहुत प्यार और सम्मान है।
मेरे लिंग – युवा, बूढ़े, वयस्क, बूढ़े – जब यह सब कहते हैं, तो बहुत भव्यता होती है। हम क्रिसमस कैसे मनाएंगे? हम जलाते हैं। स्प्रिंग्स में, सभी को बहुत अच्छा खाना खिलाया जाता है और बहुत भव्यता होती है।
दिल कहता है: धन्यवाद, पिता, कि आपने हमें अपना बना लिया और हमें सिखाया कि हर समय मुस्कुराना कैसा है। जब आप मुस्कुराते हैं, तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। सब कुछ आसान है ईश्वर हमारा साथी है।
एक अलग गवाह बनें और आपस में ऐसे खेलें कि आपके दमकते चेहरे हर किसी को दिखाई दें। जितना अधिक आपके चेहरे चमकते हैं, उतना ही भीतर से ध्वनि निकलती है: मेरी एक्स (मेरी – मेरी)।
पूरे साल में, 25 (दिसंबर) को सिर्फ एक दिन ऐसा होता है, जब सभी से आवाज निकलती है – मेरी एक्स, मेरी। यह अच्छा है। मैं भरत के यहाँ बैठा रह सकता हूँ, लेकिन मुझे पता है कि दुनिया में हर जगह, युवा, बूढ़े, वयस्क, हर कोई मेरी क्रिसमस मनाता है। दिल से क्या निकलता है? (meri dil) – खुशी, प्यार और ईमानदारी।
स्वाभाविक रूप से, जब ईमानदारी, प्यार और खुशी होती है, तो आपका चेहरा चमक उठता है। शरीर में तीन चीजें होती हैं- हृदय, सिर और द्रष्टि। देखिये हर कोई इतनी ख़ुशी के साथ मना रहा है! मैं कौन हूँ? मेरा कौन है? मैं एक आत्मा हूं और मेरे पिता अल्क्तिमान प्राधिकरण हैं। वह कहता है: बने रहो और सबके साथ प्यार से बातचीत करो।
शरीर में रहते हुए, संसार में रहते हुए, अलग होने से, आपको स्वचालित ही प्रेम प्राप्त होता है और आप स्वचालित ही प्रेम देना होता है। प्रेम क्या है? प्रेम ऐसा है … जो शरीर, मन, धन और रिश्तों – दुनिया में रहता है, कोई फर्क नहीं पड़ता कि शरीर कैसा है, मन की भावना अच्छी है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपके पास थोड़ा सी दौलत है, क्योंकि आपका दिल बड़ा है।
आंखें इतनी अच्छी हैं कि आंखों से मुस्कुराहट निकलती है। मैं कौन हूं और मेरा कौन है? प्रेम क्या है? प्यार दिल से निकलता है। प्यार दिल में है और जब यह उभरता है, तो यह आपकी दृष्टि और दृष्टिकोण के माध्यम से प्रकट होता है।
आपकी जागरूकता में, आपके पास: मैं कौन हूं? आपके दृष्टिकोण में, आप जा रहे हैं, “मेरा कौन है?” आपकी दृष्टि में, आपको लगता है, “हर कोई अच्छा है”। चाहे कुछ भी हो, खुशी की तरह कोई पोषण नहीं है और चिंता जैसी कोई बीमारी नहीं है।
चिंता या बेकार सोच आपको एक अच्छा जीवन जीने की अनुमति नहीं देती है। एक अच्छा जीवन जीने के लिए, ये तीन चीजें बहुत उपयोगी हैं और यही कारण है, मैं कहता हूं: मेरी क्रिसमस। यह बहुत अच्छा लगता है जब हर कोई प्यार के साथ यह कहता है और बहुत शानदार होता है और सभी का चेहरा खुश हो जाता है। धन्यवाद।
A Rajyoga Meditation Session in Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana Orion Company
A Rajyoga Meditation Session in Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana Orion Company
A Rajyoga Meditation Session has been conducted among students in Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana(DDU-GK) Orion Company, Dhaiya, Dhanbad. In which, Bk Laxman Mishra, BK Abhijeet, BK Ravi kumar were present from Brahma Kumaris Dhanbad and took classes on the Rajyoga Meditation and Spiritual Knowledge.
Students Feedback –
अभिमन्यु कुमार राय – आपने जो बात बतायें इससे हमारे दिनचर्या में अच्छा प्रभाव पड़ेगा |
Kripa Sagar – I feel better and it is the best tip to how we can live a wonderful life.
विजय कुमार – मुझे धर्म की बातें अच्छी लगती हैं |
पप्पू कुमार सिंह – आज मुझे अच्छा शांति मिला |
दीपक सोरेन – मुझे यह अच्छा लगा और मैं चाहता हूँ कि और भी ऐसा एक्टिविटी हो या होते रहे तो अच्छा रहेगा और हमेशा होना चाहिए |
अमित पंडित – मन को शांति मिला और खुद को खुद से जाना कि हम एक आत्मा हैं |
Indrajeet Pandit – Very Nice to Daily use life.
अमित महतो – बहुत अच्छा लगा, आपने मेरा आँख खोल दिए |
पिंटू पंडित – असीम शांति का अनुभव हुआ और अपने आप को जान गए |
Rahul Chatterjee – It is very important in our daily life. Thank You Sir.
A Session on DeAddictions in Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana Orion Company
Student’s Feedback
Md. Mubarak Ansari – मुझे मैडिटेशन करके मन को बहुत शांति मिलती हैं | और मुझे रामायण के बारे में जानना हैं |
जयराम मंडल – मुझे मैडिटेशन करके मन को बहुत अच्छा लगा और गांव घर तरफ इसके बारे जानकारी दूंगा और बताऊंगा |
Jugay Pandit – मुझे मैडिटेशन करके मन में शांति मिलती हैं और मुझे बहुत अच्छा लगा और मेरे घर में जो भी नशा कर रहा हो उसे छुड़ाने का काम मेरा हैं|
विष्णु मिर्धा – सबसे पहले तो मैं आपके बात से सहमत हूँ कि सर आप जो भी कहते हैं वो बहुत ही लाभदायक का बात हैं इसमें कोई भी व्यक्ति ध्यानपूर्वक से सुने तो उसका मन में से अच्छा सोच निकलेगा अगर इस तरह से आप हमलोगो को और हम अपने गांव वालो को बोलते रहेंगे तो काफी व्यक्ति में परिवर्तन आ जायेगे और मैं आशा करता हूँ कि आप DDUGKY में जब भी आएंगे मैं आपकी बात सुनने के लिए 100% उपस्थित रहूँगा |
गुलाम बेसर – मुझे लगा कि जीवन में मैडिटेशन बहुत ही जरुरी हैं |
काजल राउत- मुझे महसुस हुआ कि मेरा मन बुद्धि संस्कार शुद्ध शुद्ध हो गया हैं और आगे ग्रामवासियों का करूँगा ये मेरा मकसद हैं।
सपन पंडित – मुझे आपकी सभी बातें अच्छी लगी और मैं चाहूंगा कि मैं आपके बातो को पालन करके में अपने आपको शांत रखूं और दूसरों को भी।
ओम प्रकाश – मुझे आपका मेडीटेशन बहुत अच्छा लगा और मैं मेडिटेशन हमेशा करता रहूंगा।
अमित पंडित – हमें आपका जो ॐ शांति का इस योग में एक राह मिला इस योग से हम परमात्मा से विनती, अनुरोध कर सकते हैं कि हम बुरा नही अच्छाई की राह दिखाना और हमें अपना सदा दास बना के रखना। ॐ शांति
Seven Days Rajyoga Meditation Course in Brief in Birsa Munda Park Dhanbad
After Rejyoga Meditation Course, Let’s check their feedback
A Session on DeAddictions in Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana Orion Company by BK Sunny Bhai
महिलाओं के लिए ब्रह्माकुमारीज़ का शक्ति सत्र
महिलाओं के लिए ब्रह्माकुमारीज़ का शक्ति सत्र
प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय के धनबाद सेण्टर के ओर से गोविंदपुर स्थित अग्रसेन भवन में शक्ति सत्र का आयोजन किया गया, कार्यक्रम में अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मलेन, गोविंदपुर के पदाधिकारियों ने भाग लिया | महिला सम्मेलन कि सचिव सीमा सरिया के अनुरोध पर आयोजित शक्ति सत्र में ब्रह्माकुमारीज़ के धनबाद सेण्टर की प्रमुख अनु दीदी ने राजयोग के बारे में बताया |
Check out some feedback
Meena Bansal
ॐ शांति
मैं यहाँ आकर अपने आप बहुत हल्का महसूस कर रही हूँ, मैं अनु दीदी की बहुत बहुत आभारी हूँ जो मुझे शांति की ओर दर्शन करा रही थी | मैं चाहती हूँ ऐसी एक संस्था हो जो हम कभी दुखी हो, किसी के प्रति हमारी सोच गलत हो तो हम उससे सच्चा दर्शन आईना दिखने वाला हो, मैं यही कामना करती हूँ दीदी से |
Anju Saria
ॐ शांति ॐ
आत्मा की शांति के लिए बहुत ही अच्छा मार्गदर्शन | इस शांति की प्राप्ति के लिए मैं भी कोर्स करना चाहती हूँ |
Isha Agarwal
आज हमलोगो के बीच अनु दीदी आयी, बहुत बहुत सदर प्रणाम, बहुत अच्छा लगा, हमलोग आएंगे, मैं मारवाड़ी महिला समिति की अध्यक्ष ईशा अग्रवाल, हम सभी बहने कोर्स करना चाहते है |
Bimla Sharma
ॐ शांति ॐ
इसके बारे में आज हमें बहुत ही अच्छा ज्ञान प्राप्त हुआ | अनु दीदी ने बहुत ही अच्छा समझाया | आत्मा ओर परमात्मा के बारे में | और हम कैसे विचारो का आदान – प्रदान करते है | हम जैसा ही करेंगे वैसा ही हमें प्राप्त होता हैं |
Seema Saria
आज मुझे दीदी से मिलकर बहुत ही अच्छा लगा | हमारी कई बहनो ने मिलकर यह कोर्स करने को भी कहा हैं | हमारा आज का ही अनुभव इतना अच्छा था तो कोर्स के बाद तो हमें और भी अच्छा लगेगा |
Sunita Bansal and Renu Dudani
ॐ शांति
आज अनु दीदी से अपने ख़ुशी और दूसरे के खुशी को आपस में आदान – प्रदान करने से हम जीवन में कितना बदलाव ला सकते हैं, सुनकर बहुत अच्छा लगा | मैंने निर्णय लिया कि मै उनके पास जाकर क्लास करुँगी | आधे घंटे कि परिचर्चा इतनी अच्छी तो क्लास करके अपने में बहुत चेंज ला सकते हैं |
Sangita Saria
प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आज हमारी समिति में जो कार्यक्रम हुआ उसमे हम सभी को आत्मिक शांति का अनुभव हुआ | मैंने राजयोग की क्लास की हैं | तो उसका अनुभव अद्भुत था | हम आज की आपा धापी और टेंशन की ज़िन्दगी में कुछ क्षण सुकून और शांति के खोजते हैं | लग रहा हैं वो तलाश अब पूरी हो रही हैं | आगे भी यह संकल्प हैं कि हम इस अनुभव को अपने जीवन को जीने का मंत्र बनाये और अपने परिवार और परिजनों को भी सिखाये |
ब्रह्माकुमारीज़ में एकल महिला समिति का स्नेह मिलन
Training Programme for Management Trainees of BCCL
Training Programme for Management Trainees of BCCL
A training programme has been conducted for management trainees of BCCL in Brahma Kumaris Dhanbad and here is the feedback:
Feedback of Training Programme for Management Trainees of BCCL
Name: Buddhi Prakash
Designation: MT(Mining)
Comment: Very Nice
Name: Paawan Vatsa
Designation: MT(HR)
Comment: Very Informative Session
Name: Daulat Ram Meena
Designation: Management Trainee(Environment)
Comment: It is very good and knowledgeable session. I am interested to join Rajyoga session/course.
Name: Amal Mandal
Designation: MT(Civil)
Comment: Good session for me because I m interested for this type of session from childhood and I belief in it.
Name: Vishal Anand
Designation: MT(Civil)
Comment: Felt positive vibes and helped me realize consciousness, will like to visit again.
Name: Chandra Raj Singh
Designation: Management trainee
Comment: Very nice the class help me to motivate myself from now and the class helps me to generate positive thinking. Regards Chandra Raj
Name: Vimal Kumar
Designation: MT(ENVT)
Comment: Good session
Name: Abhi Joshi
Designation: MT
Comment: The session could have been more interactive, PPT could have been a bit short and more interesting.
Name: Subhajay Mandal
Designation: MT(Personnel/HR)
Comment: The course was interesting and we are enlightened with multiple topics, the course highlighted version points on self development skills. Thanks very much.
छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्तव Anu Didi Brahma Kumaris Dhanbad
छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्तव
Anu Didi
Brahma Kumaris Dhanbad
@BKDhanbad
Spiritual significance of Chhath Puja
छठ विषेश
वैदिक काल से ही भारत में सूर्योपासना का प्रचलन रहा है। सूर्य की उपासना की चर्चा सर्वप्रथम रिगवेद में मिलती है जहां देवता के रूप में सूर्य की वंदना का उल्लेख मिलता है।
उं सूर्य आत्मा जगतस्तस्युशष्च
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि षोक विनाषनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्।।
सृश्टि के संचालक और पालनकर्ता के रूप में सूर्य की उपासना और सूर्य को जगत की आत्मा, षक्ति व चेतना समझा जाना इन पंक्तियों में अंर्तनिहित है। सूर्योपनिशद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उत्पति का कारण निरूपित किया गया है और उन्हें ही संपूर्ण जगत की आत्मा तथा ब्रह्म बताया गया है। सूर्य को ही सम्पूर्ण जगत की अंतरात्मा माना गया है।
ब्रह्मवैर्वत पुराण में सूर्य को परमात्मा स्वरूप माना गया है। यजुर्वेद ने चक्षो सूर्यो जायत कहकर सूर्य को भगवान का नेत्र माना है। विष्व में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है अर्थात् हर कोई इनके साक्षात् दर्षन कर सकता है। षास्त्रों के अनुसार केवल भावना के द्वारा ही ध्यान और समाधि में ब्रह्मा, विश्णु, महेश आदि देवों का अनुभव हो पाता है। किन्तु भगवान सूर्य नित्य सबको प्रत्यक्ष दर्षन देते हैं। सूर्य स्थूल आंखों से साक्षात और सर्वसुलभ हैं और यही कारण है कि ज्ञान सूर्य अर्थात् परमपिता परमात्मा के स्थान पर भौतिक प्रकाष पुंज यानि कि देवता सूर्य की अराधना द्वापर काल से आरंभ हो गई।
छान्दोग्योपनिशद में सूर्य को प्रणव औंकार उं निरूपित कर उनकी ध्यान साधना से पुत्र प्राप्ति का लाभ बताया गया है। यह कहानी प्रचलित है कि प्रथम बार जब दैत्य-दानवों ने मिलकर देवताओं को पराजित कर दिया था तब देवताओं की माता अदिति ने अपने पुत्रों की हार से व्यथित होकर देवता सूर्य से कहा कि- हे भक्तों पर कृपा करने वाले प्रभु! मेरे पुत्रों का राज्य एवं यज्ञ दैत्यों एवं दानवों ने छीन लिया है।
आप अपने अंष से मेरे गर्भ द्वारा प्रकट होकर पुत्रों की रक्षा करें। अदिति गर्भवती हुईं किंतु उनके पति कष्यप क्रोध में गर्भस्थ षिषु को मृत षब्द से संबोधित कर बैठे। उसी समय अदिति के गर्भ से एक प्रकाषपुंज बाहर आया जिसे देखकर कष्यप भयभीत हो गए। कष्यप ने क्षमा-याचना की और आकाषवाणी हुई कि ये दोनो इस पुंज का प्रतिदिन पूजन करें और उचित समय पर पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई जो आदित्य व मार्तण्ड नाम से विख्यात हुआ। आदित्य का तेज प्रचण्ड था और युद्ध में इनका तेज देखकर ही दैत्य पलायन कर गए।
पहले सूर्योपासना मंत्रों से होती थी और बाद में मूर्ति पूजा का प्रचलन हुआ जो भविश्य पुराण में ब्रह्मा-विश्णु के मध्य संवाद के रूप में दर्ज है। सूर्य देवता सात विषाल एवं मजबूत घोड़ों द्वारा चलाए जा रहे रथ पर सवार होते हैं। इन घोड़ों की लगाम लालिमा युक्त अरूण देव के हाथ में होती है और स्वंय सूर्य देवता पीछे रथ पर विराजमान होते हैं।
अन्य देवों की सवारी देखें तो श्री कृश्ण द्वारा चलाए गए अर्जुन के रथ के भी चार ही घोड़े थे, फिर सूर्य देवता के सात घोड़े क्यों? कई बार एक घोड़े पर सात सिर बनाकर मूर्ति बनाई जाती है ठीक उसी प्रकार से जैसे सूरज की रोषनी से सात अलग रंगों की रोषनी निकलती है। सूर्य के सात घोड़ों को भी इन्द्रधनुश के सात रंगों से जोड़ा जाता है, इसलिए प्रत्येक घोड़े का रंग भिन्न है और एक दूसरे से मेल नहीं खाता है। किरणें जैसेकि बैंगनी आनंद, गहरा नीला ज्ञान, आसमानी षांति, हरा रूहानी प्रेम, पीला सुख, नारंगी पवित्रता, लाल षक्ति का प्रतीक है।
प्रकाष पुंज ईष्वर से निकलने वाले सातो रंग इन्हीं गुणों के प्रतीक हैं जिससे जुड़कर आत्मा में मनोवांछित फल प्राप्त करने की खूबी आती है इसलिए अरूण देव द्वारा एक ओर रथ की कमान तो संभाली ही जाती लेकिन रथ चलाते हुए भी वे सूर्य देव की ओर मुख करके ही बैठते हैं। इस बड़े रथ को चलाने के लिए केवल एक पहिया मौजूद है और यह एक पहिया एक कल्प को दर्षाता है। विश्णु के लिए प्रयुक्त नारायण विषेशण का प्रयोग सूर्य देव के लिए भी होता है। विश्णु और सूर्य देव के संबंध षतपथ ब्राह्मण में स्पश्ट है जिसके अनुसार सूर्य देवता विश्णु जी के भौतिक उर्जा हैं। बृहत संहिता कहता है कि सूर्य देवता को दो हाथों से दिखाया जाना चाहिए और एक ताज पहनाया जाना चाहिए। किन्तु विश्णुधर्मोतम के अनुसार आकृतिचित्र में सूर्य के चार हाथ दिखाए जाने चाहिए, दो हाथों में पवित्रता सूचक कमल पुश्प, तीसरे में धर्मराज रूपी सोंटा और चैथे में लेखन उपकरण जैसे कि कुंडी-पत्र और कलम होने चीहिए जो ज्ञान का प्रतीक है।
गणेष जी की पूजा चतुर्थी को, विश्णु की पूजा एकादषी को आदि आदि। सूर्य सप्तमी, रथ सप्तमी से स्पश्ट है कि सूर्य की पूजा के साथ सप्तमी तिथि जुड़ी है। लेकिन छठ में सूर्य का शश्ठी के दिन पूजन अनोखी बात है। सूर्यशश्ठी व्रत में ब्रह्म और षक्ति दोनों की पूजा साथ-साथ की जाती है इसलिए व्रत करने वालों को दोनो की पूजा का फल मिलता है। यही बात इस पूजा को सबसे खास बनाती है।
महिलाओं ने छठ के लोकगीतों में इस पौराणिक परंपरा को जीवित रखा हैः
‘‘अन-धन सोनवा लागी पूजी देवलघरवा हे,
पुत्र लागी करीं हम छठी के बरतिया हे‘‘
इसमें व्रती कह रही हैं कि वे अन्न-धन, संपति आदि के लिए सूर्य देवता की पूजा कर रही हैं और संतान के लिए ममतामयी छठी माता या शश्ठी पूजन कर रही हैं।
ब्रह्मवैवर्तपुराण के प्रकृतिखंड में बताया गया है कि सृश्टि की अधिश्ठात्री प्रकृति देवी के एक प्रमुख अंष को देवसेना कहा गया है। प्रकृति का छठा अंष होने के कारण इन देवी का एक प्रचलित नाम शश्ठी है। पुराण के अनुसार, ये देवी सभी बालकों की रक्षा करती हैं और उन्हें लंबी आयु देती हैं।
शश्ठांषा प्रकृतेर्या च सा शश्ठी प्रकीर्तिता।
बलकाधिश्ठातृदेवी विश्णुमाया च बालदा।।
आयुःप्रदा च बालानां धात्री रक्षणकारिणी।
सततं षिषुपाष्र्वस्था योगेन सिद्धयोगिनी।।
छठ का व्रत कठिन होता है इसलिए इसे महाव्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन छठी देवी की पूजा की जाती है। षष्ठीदेवी को ही स्थानीय बोली में छठ मैया कहा गया है। छठ व्रत कथा के अनुसार छठी देवी ईष्वर की पुत्री देवसेना बताई गई हैं।
देवसेना प्रकृति की मूल प्रवृति के छठवें अंष से उत्पन्न हुई हैं। षष्ठीदेवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा गया है। बच्चों की रक्षा करना इनका स्वभाविक गुण धर्म है। इन्हें विश्णुमाया तथा बालदा अर्थात पुत्र देने वाली भी कहा गया है। कहा जाता है कि जन्म के छठे दिन जो छठी मनाई जाती है वह इन्हीं षष्ठी देवी की पूजा की जाती है।
पुराणों के अनुसार मां छठी को कात्यायनी नाम से भी जाना जाता है और नवरात्री की षष्ठी को इन्हीं की पूजा की जाती है। कात्यायनी को भी षिषुप्रदा व आयुश्प्रदा और बालकों की रक्षिका देवी की ख्याती प्राप्त है और ये षष्ठी देवी का ही रूप हैं। गोधूली वेला के समय गंगाजल से स्नान के पषचात् कात्यायनी देवी की पूजा करना सबसे उतम है।
अर्थात् छठ पूजा ज्ञान सूर्य परमपिता परमात्मा षिव की अराधना है। आधे कल्प से आत्मा को विस्मृत कर चुके मानव जाति प्रकाष पुंज को भौतिक सूर्य समझ बैठे हैं और पवित्रता पर्व का सीमित लाभ ले पा रहे हैं। छठी देवी उन्हीं परमात्मा की षिव-षक्ति हैं जो ज्ञान तलवार धारण कर अंधकार मिटाकर सतयुग का अनावरण करेंगी। छठ पर्व जाने वाले युग अर्थात् कलियुग का विदाई समारोह है और आनेवाले कल्प का उद्धाटन पर्व है किन्तु स्थूलता ने दिक्भ्रमित कर दिया है।
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